मृत्यु का स्मरण, अमरता की कुंजी || आचार्य प्रशांत, संत कबीर पर (2014)

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वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
२६ अक्टूबर २०१४
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

दोहा:
साँझ पड़ी दिन ढ़ल गया, बाघन घेरी गाय ।
गाय बेचारी ना मरै, बाघ न भूखा जाए ॥ (संत कबीर)

प्रसंग:
मृत्यु क्यों सताती है?
अमरता को कैसे प्राप्त हों?
मृत्यु से अमरता का रास्ता क्या है?