तुम्हारे सम्बंध ही तुम हो || आचार्य प्रशांत, अष्टावक्र गीता पर (2015)

  • 5 years ago
वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
२८ जनवरी २०१५
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

प्रसंग:
अपने सम्बन्धों को कैसे सुधारें?
क्या सम्बन्ध ही बंधन का कारण हैं?
अपने आपको कैसे पहचानें?
क्या सम्बन्ध ही एक मात्र तरीका है स्वयं को पहचानने का?