मन क्यों जीत जाता है? || आचार्य प्रशांत (2018)

  • 5 years ago
वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग, ४०वा अद्वैत बोध शिविर
२६ जनवरी, २०१८
कैंचीधाम, नैनीताल

कहानी:
एक बार बकरियों के झुंड पर एक बाघिन झपट पड़ी, बाघिन गाभिन थी और कूदते समय उसे बच्चा पैदा हो गया और वो मर गई। वो बच्चा बकरियों के साथ पलने लग गया, बकरियां घास-पत्ते खाती और वो भी वहीं खाने लगा। धीरे-धीरे वो बच्चा काफी बड़ा हो गया। एक दिन उस बकरियों के झुंड में और एक बाघ आ पड़ा और वो उस घास चरने वाले बाघ को देख आश्चर्य से दंग हो गया उसने दौड़ कर उसे पकड़ लिया वह में,में कर चिल्लाने लगा। वह उसे घसीटते हुए जलाशय के पास ले गया देख जल के भीतर अपना मुह देख, देख तू ठीक मेरे ही जैसा है और यह ले थोड़ा सा मांस और इसे खा। यह कहकर वो उसे ज़बरदस्ती मांस खिलाने लगा, पहले तो वो राज़ी नहीं हुआ पर अंत में रक्त का स्वाद पाकर खाने लगा। तब नए बाघ ने कहा अब समझा न कि जो मैं हूँ वहीं तू भी है अब आ मेरे साथ वन में चल।

प्रसंग:
मन क्यों जीत जाता है?
मन की गुलामी से बाहर कैसे निकाले?
क्या हमारा चुनाव ही गुलामी का कारण है?
मन को अपने काबू में कैसे करें?
बेचैन मन को शांत कैसे रखें?
शांति की ओर कैसे बढ़ें?
क्या मन का शांति की ओर जाना ही प्रेम है?
मन को शांत कैसे रखें?
क्या हम अपने मज़बूरी का जिम्मेदार खुद है?