तीन मार्ग- ध्यानयोग,कर्मयोग,ज्ञानयोग || आचार्य प्रशांत, श्रीकृष्ण पर (2015)

  • 5 years ago
वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
२२ मार्च २०१५,
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय-१३ श्लोक-२४)
ध्यानेनात्मनि पश्यन्ति केचिदात्मानमात्मना ।
अन्ये सांख्येन योगेन कर्मयोगेन चापरे ||

प्रसंग:
जीवन में योग का महत्व क्या है?
कृष्ण का दर्शन जीवन में कैसे उपलब्ध हो?
मुक्ति के तीन मार्ग क्या हैं?
क्या मुक्ति के लिए इन तीनो मार्ग से गुजरना आवशयक है?

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