निर्गुण के गुण || आचार्य प्रशांत,संत कबीर पर (2015)

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वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
७ जनवरी २०१५
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

दोहा:
जो तू चाहे मुक्त को, छोड़ दे सब आस।
मुक्त जैसा ही हो रहे, सब कुछ तेरे पास || (संत कबीर)




प्रसंग:
मुक्ति जैसा का क्या आशय है ?
मुक्ति निर्गुण है इसका आशय क्या है ?
क्या उचित कर्म बोध से निकलता है?