नदी पार करो, और पुल जला दो || आचार्य प्रशांत, संत रसखान पर (2018)
- 5 years ago
वीडियो जानकारी:
मन लीन्हो प्यारे चितै, पे छटाक नहीं देत।
यह कहा पाटी पढ़ी, दल को पीछो लेत।
~ संत रसखान
समझें इन पंक्तियों का अर्थ, आचार्य प्रशांत जी द्वारा इस शब्दयोग सत्संग के माध्यम से-
_______________________________________________________
प्रसंग:
रसखान जी की तरह कभी -कभी हमें भी अनुभव होता है क्या ये सही अनुभव है ?
ऐसा क्यों लगता है की हमें कृष्ण से कुछ प्राप्त नहीं होने वाला ?
निर्विकल्पता और सविकल्पता में क्या अंतर है ?
आचार्य प्रशांत
शब्दयोग सत्संग
२४ नवम्बर २०१८
अद्वैत बोध शिविर
भोपाल, मध्यप्रदेश
संगीत: मिलिंद दाते
मन लीन्हो प्यारे चितै, पे छटाक नहीं देत।
यह कहा पाटी पढ़ी, दल को पीछो लेत।
~ संत रसखान
समझें इन पंक्तियों का अर्थ, आचार्य प्रशांत जी द्वारा इस शब्दयोग सत्संग के माध्यम से-
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प्रसंग:
रसखान जी की तरह कभी -कभी हमें भी अनुभव होता है क्या ये सही अनुभव है ?
ऐसा क्यों लगता है की हमें कृष्ण से कुछ प्राप्त नहीं होने वाला ?
निर्विकल्पता और सविकल्पता में क्या अंतर है ?
आचार्य प्रशांत
शब्दयोग सत्संग
२४ नवम्बर २०१८
अद्वैत बोध शिविर
भोपाल, मध्यप्रदेश
संगीत: मिलिंद दाते