क्यों भटक रहे हो? || आचार्य प्रशांत, गुरु कबीरदास पर (2018)

  • 5 years ago
वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग, अद्वैत बोध शिविर
३० मार्च, २०१८
कैंचीधाम, नैनीताल

दोहा:
एहु अनमोलक जीवन पायो सद्गुरु सबद ध्यायो।
कहे कबीर पलक में सारी एक अलख दरसाओ।।
~ संत कबीरदास

जल थल सागर पूर रहया है भटकत फिरे उदासी।
कहे कबीर सुनो भई साधो सहज मिले अविनाशी।।
~ संत कबीरदास

प्रसंग:
गुरु कबीरदास सहज मिले अविनाशी किसे बता रहे है?
क्यों भटक रहे हो?
मन भटकता क्यों है?
सत्य के प्रति कैसे समर्पित रहें?

संगीत: मिलिंद दाते