जो तुम खुद को सोचते हो वो तुम नहीं, और न ही तुम कुछ और हो || आचार्य प्रशांत (2013)
वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग
१ जून २०१३
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
प्रसंग:
जो तुम खुद को सोचते हो वो तुम नहीं, और न ही तुम कुछ और हो?
क्या हैं मेरे अंदर जो कभी किसी से प्रभावित नहीं हो सकता हैं?
साक्षित्व होने का क्या अर्थ हैं?
शब्दयोग सत्संग
१ जून २०१३
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
प्रसंग:
जो तुम खुद को सोचते हो वो तुम नहीं, और न ही तुम कुछ और हो?
क्या हैं मेरे अंदर जो कभी किसी से प्रभावित नहीं हो सकता हैं?
साक्षित्व होने का क्या अर्थ हैं?
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