बाबरी विध्वंस मामले में बढ़ सकती है आडवाणी, उमा और जोशी की मुश्किल | Babri Masjid Demolition Case

  • 5 years ago
उत्‍तर प्रदेश के बहुचर्चित बाबरी विंध्‍वंस कांड को लेकर सुप्रीम कोर्ट अपना आखिरी फैसला 22 मार्च को सुनाएगा। सोमवार को हुई सुनवाई में जस्टिस पीसी घोष और जस्टिस आरएफ नरीमन की खंडपीठ ने सीबीआई व हाजी महबूब अहमद की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह तारीख तय की है। इस याचिका के जरिए इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में आरोपियों के ट्रायल में हो रही देरी को लेकर चिंता जताई है। अदालत ने कहा है कि न्‍यायिक प्रक्रिया को तेज करने के लिए आरोपियों का संयुक्‍त ट्रायल भी चलाया जा सकता है।

गौरतलब है कि इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय ने इस मामले में आरोपी रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, केंद्रीय मंत्री उमा भारती, राजस्थान के राज्यपाल कल्याणसिंह, वरिष्‍ठ नेता मुरली मनोहर जोशी सहित अन्य को दोषमुक्‍त पाया था। अगर सुप्रीम कोर्ट फैसला बदलती है तो इन सभी नेताओं के खिलाफ पुराना मामला फिर से खोला जा सकता है। इससे पहले, अदालत ने मार्च 2015 में आरोपियों से जवाब तलब किया था। सीबीआई ने उच्च न्यायालय के 21 मई 2010 को सुनाए फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी। सतीश प्रधान, सीआर बंसल, अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, साध्वी ऋतम्भरा, वीएच डालमिया, महंत अवैद्यनाथ, आरवी वेदांती, परमहंस राम चंद्र दास, जगदीश मुनि महाराज, बीएल शर्मा, नृत्यगोपाल दास, धरमदास, सतीश नागर और मोरेश्वर सावे के खिलाफ भी आरोप हटाए गए थे। बाल ठाकरे के निधन के बाद उनका नाम आरोपियों की सूची से हटा दिया गया था।