#जीवन संवाद: रिश्तों का पुल, वादों की नींव!
हम एक ऐसे देश और समाज से आते हैं, जहां महिलाओं, लड़कियों की पहचान परिवार के साथ अभिन्न रूप से जुड़ी रही है. उनकी भूमिका में सबसे पहले यही देखा जाता है कि वह परिवार को कितनी 'सूट' करती है. यही कारण है कि अब तक शिक्षित लड़कियों, महिलाओं के प्रति हमारा दृष्टिकोण परिपक्व नहीं हुआ है. हम समय के साथ 'उदार' हो रहे हैं, इससे खुश तो हुआ जा सकता है लेकिन इसकी 'गति' बहुत धीमी है.
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