लाइलाज बीमारियों में सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ इच्छा मृत्यु की मंजूरी दे दी. सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने किसी भी व्यक्ति को ये अधिकार भी दे दिया कि वो अपने जीते जी अपनी एक लिविंग विल लिख सकता है ताकि भविष्य में अगर उसको लाइफ सपोर्ट सिस्टम के सहारे ही जीवित रहना पड़े तो वो लाइफ सपोर्ट सिस्टम लेने से इनकार कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा की जब तक सरकार इस पर कानून नहीं लाती तब तक सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन प्रभावी होंगी. CJI ने इस संवेदनशील मामले पर फैसला सुनाते वक्त कई कवियों और दार्शनिकों का जिक्र किया. उन्होने स्वामी विवेकानन्द का उल्लेख करते हुए कहा कि जीवन एक ज्योति है और इसका अंत ज्योति के समान होना चाहिए.