अक्षय पात्र - भोजन से भरा अनोखा कलश | अर्था । आध्यात्मिक विचार

  • 5 years ago
एक समय था जब ऋषि दुर्वासा भोजन के लिए पांडवों के आश्रम पहुंचे थे और द्रौपदी ने पांडवों को एक पौष्टिक भोजन खिलाया था और बाकी बचा हुआ भोजन खुद खाया था। वो बच गयी थी क्यूँ कि उसके बर्तन में अनाज का एक दाना मिल गया था। जानिये उस रहस्यमय बर्तन की कहानी जो हमेशा भोजन से भरा रहता था जिसका नाम था अक्षय पात्र।

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१ अक्षय पात्र एक संस्कृत शब्द है जो एक अतुलनीय बर्तन को कहते हैं जिसका वर्णन आम तौर पर हिन्दू पौराणिक कथाओं में हुआ है
२ महाभारत में, सूर्य देव ने युधिष्ठिर को उपहार के रूप में अक्षय पात्र दिया था
३ सूर्य देव ने युधिष्ठिर को चेतावनी दी थी कि यह पात्र दिन भर के लिए तब तक भरा रहेगा जब तक कि द्रौपदी ( परिवार में आखिरी खाना खाने वाली ) ने उस में से भोजन ना कर लिया हो
४ दुर्योधन को इस सच से बहुत ईर्ष्या हुई थी कि ऋषियों ने पंचाली (द्रौपदी) की प्रशंसा की, और अक्षय पात्र के कारण उसकी रसोई हमेशा भोजन से भरी रहेगी
५. उसकी गुप्त इच्छा थी कि, ऋषि दुर्वासा गुस्से में पांडवों को श्राप दें इसलिए उसने ऋषि को इस बात के लिए मनाया कि वो पांडवों के आश्रम में अपने शिष्यों के साथ उस समय जाएँ जब द्रौपदी भोजन कर चुकी हो
६ इस समय द्रौपदी सम्मानित ऋषियों के समूह को कुछ भी नहीं दे सकती थी, लेकिन संयोगवश पात्र में चावल का एक दाना बच गया था
७.द्रौपदी और पांडवों को ऋषि दुर्वासा के क्रोध से बचाने के लिए, भगवान कृष्ण ने अक्षय पात्र के तल पर चिपके चावल के एक दाने को खाया और सारी मानव जाती की भूख को शांत किया
८ क्या आप जानते हैं इसी दिन को हर साल अक्षय तृतीय के रूप में मनाया जाता है ? ये एक अद्भुत कहानी थी ना ? ऐसी ही अनोखी घटनाओं के बारे में जानने के लिए हमारे चैनल को सब्सक्राइब करे / हमारे पेज को लाइक करे

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