पंचकन्या हिंदू महाकाव्यों के पांच प्रतिष्ठित नायिकाओं का एक समूह है, जिन्होंने भारतीय पौराणिक कथाओं के प्रमुख हिस्से को आकार दिया. जब इन पांच आकाशिय देवीयों के नामो को जाप किया गया, माना जाता है कि तब तब पापों से मुक्ति मिली और निराशा का अंत हुआ . तो जानिए कि क्यूँ इनको पंच कन्या कहा जाता है और वो कौन से अलौकिक गुणों हैं जो इनको इतना पूजनिय बनाते हैं
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१ पंचकन्या वो पांच प्रतिष्ठित देवियाँ या कुंवारियां हैं, जिनकी महिमा का भारतीय शास्त्रों में युगों तक बखान किया गया
२ प्राचीन काल से, इन कुंवारियां का लगातार सुमिरण किया जाता रहा है और हर दिन सुबह इनकी पूजा करने का आग्रह किया गया है
३ इन पांच कन्याओं के समूह में शामिल हैं, अहल्या, द्रौपदी, कुंती, तारा, और मंदोदरी
४ पांच कन्याओं में से, अहल्या, तारा और मंदोदरी, वाल्मिकी के महाकाव्य रामायण से सम्बंधित हैं, जबकि द्रौपदी और कुंती व्यास के महाभारत से जुड़ी हैं
५ अहल्या का मान सम्मान और असाधारण सुन्दरता उन्हें इस सूची के शिखर पर स्थान देती है . विश्वमित्र और वाल्मिकी दोनों ने ही अहल्या को उनके निडर स्वभाव के लिए सराहा है
६ शास्त्रों में, द्रौपदी ( पांचाली ) को अत्याधिक सुंदर, बुद्धिमान और एक धार्मिक महिला बताया गया है, जो अपने पक्ष के प्रति मजबूती से खड़ी रही.
७. कुंती अपने आप में इकलौती थी और उनका एक मज़बूत व्यक्तित्व था. सम्पूर्ण कथा में उनके सराहनीय संयम का पता चलता है, पांडवों ने वैसा ही किया जैसा कुंती ने कहा
८ पंच कन्याओं के बीच , तारा ( राजा वाली की पत्नी ) को उनकी यादगार बुद्धिमानी, आत्म विश्वास और सही परख के लिए जाना जाता है
९. मंदोदरी एक सुन्दर अप्सरा थी और वो हमेशा अपनी नीतियों के प्रति अडिग रही. वह एक पतिव्रता पत्नी थी, जिसने सदा ही अपने पति रावण को धर्म का पालन करने के लिए प्रोत्साहित किया
१०. पंचकन्या ( सिवाय कुंती के लिए ) अयोनिजसंभव थीं. जिसका अर्थ होता है, माता की कोख से नहीं जन्मी हुई.