• 6 years ago
"पिवरो संदेशो नहीं आवीयो रे"

मायड़ उडीके पूत ने , सजनी उडीके साजन
विरह री बेला बुरी, हिवड़ो उडीके सांस ने।


इंतजार बहुत ही दुखभरा अहसास है और जब इंतजार साजन का हो औ कोई खबर भी ना आये तो वो इंतजार असहनीय होता है। इसी इंतजार की घड़ी को गीत में बहुत सुंदर तरीके से प्रस्तुत किया गया है।

विलंब प्रेम और संघर्ष के अस्तित्व को विरह के रस में डुबाकर मधुरता के साथ गीत को अपनी आवाज दी है "स्वाति शर्मा व गौरव जैन" ने और इस गीत को आपके बीच पहुँचाने का पूरा श्रेय जाता है "वीणा" के "श्रीमान के.सी.मालू" को।

आँखे भर आती है जब गौरी की मनोदशा का पता चलता है कि कैसे वो अपने साजन के संदेश का इंतजार कर रही है। काग को सन्देश वाहक मानकर कहती है कि साजन तो बेरी है संदेश नही भेजता मेरे हाल नही पूछता पर मेरा संदेश तो उन तक भेजो । गौरी की बात सुन काग कहता है कि में जाऊं कैसे धूप बहुत है मुझे जाने नही देती। ये कहने के बाद जब काग गौरी की हालत देखता हैं तो उन्हें भी उसपर तरस आ जाता है, और काग कहता है कि चाहे मुझे इंद्रधनुष पर बैठ कर जाना पड़े पर में जाऊंगा और साजन का हाल पूछ कर आऊंगा और तेरे लिए संदेश लेकर आऊंगा गौरी अपना मन छोटा मत कर। गीत में गौरी की तड़प उसका प्रेम और उसकी परीक्षा की घड़ी गीत में आपको बखूबी देखने को मिलेगी।
"वीणा" के इस मधुर प्रयास में पूरा साथ दें और अपने कीमती समय मे से थोड़ा समय निकाल कर "वीणा" का ये नया गीत " पिव रो संदेशों नही आवियो रे" जरूर सुने। अपने अमूल्य विचार कमेंट बॉक्स में जरूर प्रस्तुत करें व अपने मित्रों और परिवार जनों के साथ शेयर करना न भूलें।

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