interesting story in hindi about Annapurna Devi Mandir, varanasi
वाराणसी। धर्म और आध्यात्म की नगरी काशी में हर पर्व पर उत्सव मनाया जाता है। इन्ही में एक है दीपावली के पहले धनतेरस का उत्सव, एक तरफ जहां धनतेरस के दिन लोग अपने घरों गणेश लक्ष्मी की पूजा के साथ सोने और चांदी के चीजो की पूजा करते हैं, वहीं वाराणसी का यह सैकड़ों वर्ष पुराना मंदिर जिसे राजा देवोदास के पुरोहित धनन्जय की तपस्या से प्रसन्न होकर माँ अन्नपूर्णा, माँ भूमि देवी और माँ लक्ष्मी जी ने जिस स्वर्ण प्रतिमा का दर्शन दिया था। जो आम भक्तों के लिए धनतेरस से लेकर अन्नकूट तक मन्दिर के कपाट खोले जाते हैं।
दुनिया का अकेला मंदिर, जहां खजाना दिया जाता है
यही नहीं यह दुनिया का अकेला ऐसा मंदिर है जहां धनतेरस के दिन दर्शन करने वाले भक्तों को माता के प्रसाद के रूप में खजाना (पैसा) और धान का लावा दिया जाता है। जिसके कारण लाखों की संख्या में भक्त यहां दर्शन के लिए आते है।
वाराणसी। धर्म और आध्यात्म की नगरी काशी में हर पर्व पर उत्सव मनाया जाता है। इन्ही में एक है दीपावली के पहले धनतेरस का उत्सव, एक तरफ जहां धनतेरस के दिन लोग अपने घरों गणेश लक्ष्मी की पूजा के साथ सोने और चांदी के चीजो की पूजा करते हैं, वहीं वाराणसी का यह सैकड़ों वर्ष पुराना मंदिर जिसे राजा देवोदास के पुरोहित धनन्जय की तपस्या से प्रसन्न होकर माँ अन्नपूर्णा, माँ भूमि देवी और माँ लक्ष्मी जी ने जिस स्वर्ण प्रतिमा का दर्शन दिया था। जो आम भक्तों के लिए धनतेरस से लेकर अन्नकूट तक मन्दिर के कपाट खोले जाते हैं।
दुनिया का अकेला मंदिर, जहां खजाना दिया जाता है
यही नहीं यह दुनिया का अकेला ऐसा मंदिर है जहां धनतेरस के दिन दर्शन करने वाले भक्तों को माता के प्रसाद के रूप में खजाना (पैसा) और धान का लावा दिया जाता है। जिसके कारण लाखों की संख्या में भक्त यहां दर्शन के लिए आते है।
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