Atal had made the Kalantri residence of Lucknow in its place
अनंत के सफर पर निकले राजनीति के अजेय योद्धा अटल बिहारी वाजपेयी का लखनऊ से पुराना रिश्ता है जब देश आजाद भी नहीं हुआ था तब का। लखनऊ की हर गली-हर चौराहे से वो अच्छी तरह वाकिफ थे। अटल जी ने पं. दीनदयाल उपाध्याय की सरपरस्ती में राजनीति का ककहरा लखनऊ से सीखना शुरु किया था। लखनऊ अटल की जन्मभूमि भले ही न रही हो लेकिन उनकी कर्मभूमि जरुर थी। शायद इसीलिए वो अक्सर कहते थे कि 'ये लखनऊ मेरा है और मैं इस लखनऊ का हूं।' दूसरी वजह यह भी थी कि जिस लखनऊ पर सब लोग फिदा थे, वो शहर और उस शहर के लोग अटलजी पर फिदा हो चुके थे। अटलजी जब भी किसी कार्यक्रम में शामिल होते थे तो कहते थे 'मैं लखनऊ का था, हूं और हमेशा रहूंगा'।
अनंत के सफर पर निकले राजनीति के अजेय योद्धा अटल बिहारी वाजपेयी का लखनऊ से पुराना रिश्ता है जब देश आजाद भी नहीं हुआ था तब का। लखनऊ की हर गली-हर चौराहे से वो अच्छी तरह वाकिफ थे। अटल जी ने पं. दीनदयाल उपाध्याय की सरपरस्ती में राजनीति का ककहरा लखनऊ से सीखना शुरु किया था। लखनऊ अटल की जन्मभूमि भले ही न रही हो लेकिन उनकी कर्मभूमि जरुर थी। शायद इसीलिए वो अक्सर कहते थे कि 'ये लखनऊ मेरा है और मैं इस लखनऊ का हूं।' दूसरी वजह यह भी थी कि जिस लखनऊ पर सब लोग फिदा थे, वो शहर और उस शहर के लोग अटलजी पर फिदा हो चुके थे। अटलजी जब भी किसी कार्यक्रम में शामिल होते थे तो कहते थे 'मैं लखनऊ का था, हूं और हमेशा रहूंगा'।
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