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पृथ्वीराज चौहान (संस्कृत: भारतेश्वरः पृथ्वीराजः, (सन् 1178-1192) चौहान वंश के हिंदू क्षत्रिय राजा थे, जो उत्तर भारत में 12 वीं सदी के उत्तरार्ध में अजमेर (अजयमेरु) और दिल्ली पर राज्य करते थे। पृथ्वीराज चौहान का जन्म अजमेर राज्य के राजा सोमश्वर के यहाँ हुआ था। वे भारतेश्वर[1], पृथ्वीराजतृतीय, हिन्दूसम्राट्, सपादलक्षेश्वर, राय पिथौरा इत्यादि नाम से प्रसिद्ध हैं। भारत के अन्तिम हिन्दूराजा के रूप में प्रसिद्ध पृथ्वीराज १२३५ विक्रम संवत्सर में पंद्रह वर्ष (१५) की आयु में राज्य सिंहासन पर आरूढ हुए। अतः उनकी माता कर्पूरदेवी ही उन अल्पवयस्क पृथ्वीराज के स्थान पर संरक्षिका के रूप में राज्य के कार्यों का वहन करती थीं।

पृथ्वीराज की तेरह रानीयाँ थी। उन में से संयोगिता प्रसिद्धतम मानी जाती है। अन्य जाङ्गलु, पद्मावती, चन्द्रावती भी प्रसिद्धि को प्राप्त हुई। भारतसम्राट् के रूप में जब पृथ्वीराज सिंहासन पर आरूढ हुए, तब उन्हें अल्पवयस्क जानकर सपादलक्ष साम्राज्य के अनेक सामन्तों और प्रतिवेशी राज्यों ने विद्रोह कर दिया। उनमें प्रप्रथम नागार्जुन था। नागार्जुन चौहान विग्रहराज का पुत्र था। ११७७ वर्ष में पृथ्वीराज ने उसके विद्रोह का दमन किया।[2] उस युद्ध में भादानकदेशीय शासक, जेजाकभुक्तिप्रदेश का शासक और चालुक्यवंश ने नागार्जुन की सहायता की थी। यद्यपि सम्पूर्ण सपाद लक्षसाम्राज्य के शासन को प्राप्त करने के लिए उन सर्व ने षडयंत्र करके सैन्य बल द्वारा और धन बल द्वार आक्रमण किया था, फिर भी पृथ्वीराज ने नागार्जुन का दमन किया

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