'किताबें कुछ कहना चाहती हैं' (Kitabein Kuchh Kahna Chahti Hain) - By Dipak Kumar Singh

  • 7 years ago
किताबें कुछ कहना चाहती हैंI
तुम्हारे पास रहना चाहती हैंI

किताबें करती हैं बातेंI
बीते जमानों कीI
दुनिया की, इंसानों कीI

आज की, कल कीI
एक-एक पल कीI

गमों की, फूलों कीI
बमों की, गनों कीI

जीत की, हार कीI
प्यार की, मार कीI

क्या तुम नहीं सुनोगे,
इन किताबों की बातें ?

किताबें कुछ कहना चाहती हैंI
तुम्हारे पास रहना चाहती हैंI

किताबों में चिड़िया चहचहाती हैंI
किताबों में झरने गुनगुनाते हैं I
परियों के किस्से सुनाते हैंI

किताबों में रॉकेट का राज हैI
किताबों में साइंस की आवाज हैI
किताबों में ज्ञान की भरमार हैI

क्या तुम इस संसार में
नहीं जाना चाहोगे?

किताबें कुछ कहना चाहती हैंI
तुम्हारे पास रहना चाहती हैंI

- सफदर हाशमी

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